lyrics
ख़ुदा से गर तुझे माँगा नहीं होता दुआओं में
तुझे खोने का फिर हम को ज़रा भी ग़म नहीं होता
ये आँखें अश्क से लबरेज़ कब होतीं जुदाई में
ये दिल बेक़रार रहता यूँ न तेरी रहनुमाई में
अगर तक़दीर में लिखा न होता तेरा होना
तो हर पल तेरी यादों का ये आलम नहीं होता
हम अपनी ज़ात में कुछ और ही रहते मुकम्मल
तुझे जो इश्क़ की सूरत बना हमदम नहीं होता
तुम्हारे नाम पर जो साँस लेती है ये हस्ती
वो साँसें यूँ बिखरतीं और न मातम नहीं होता
मोहब्बत से अगर इंकार ही करना था जानाँ
तो वादों का कभी इतना भरम क़ायम नहीं होता
तुम्हें चाहा है हमने उस इबादत की तरह
कि जैसे दिल हो क़ाबा, और सज्दा कम नहीं होता