[Verse 1] बिकाऊ… हाँ बिकाऊ जो भी हो इश्क़ में बेवफ़ा उसे ज़िंदा जलाओ यारों दिल की आग से भीड़ नहीं जिसमें दिखे असली चेहरा ऐसा कोई आईना बनाओ यारों
[Chorus] पत्थरों को पूजते हो इंसानों को ठुकराकर अब रुक जाओ सोचो ज़रा ये कैसा टूटा रिश्ता है अंदर पत्थरों को ठुकराके इंसानों को गले लगाओ यारों इंसानों को गले लगाओ यारों
[Verse 2] जो बोलता मीठा मीठा पीठ पीछे ज़हर उगले उसके चेहरों की परतें एक एक कर के हटाओ यारों जिसका दिल साफ़ नदी सा उसके क़दमों में फूल सजाओ यारों
[Chorus]
[Bridge] जो रोता है चुपके चुपके उसका आँसू भी तो पूजा जो हँसता है सब में बाँट के उसको ही अपना देवत बनाओ ईंट पत्थर एक तरफ़ रख दो दिल से दिल का घर सजाओ
[Chorus]
Musikstil
Mid-tempo Hindi pop with a folk touch; harmonium and acoustic guitar carry the chords, dholak and a warm kick build the groove. Male vocals start intimate and conversational in the verses, then chorus blooms with group sing-along and claps. Subtle string pads lift the bridge for an emotional peak before a stripped-down final hook.