歌詞
[Verse]
खेल रचाया है
कौन सी बिसात है
अरावली की छाती पर
क्यों ये वारात है
लालच के खंजर
हर दिशा में चमके
धरती की पीड़ा
कौन सुने कौन थामे
[Chorus]
ओ... अरावली पुकारती है
ओ... उसकी सांसें थमती हैं
ओ... कौन सुनेगा
कौन समझेगा
ओ... अरावली पुकारती है
[Verse 2]
कहते हो सौ सेंटीमीटर से कम
तो वह पर्वत ही नहीं होता
पर माँ का आँचल छोटा हो
तो क्या वह रिश्ता नहीं होता
[Prechorus]
हर पत्थर में
हर चोटी में
सदियों का इतिहास लिखा है
[Chorus]
ओ... अरावली पुकारती है
ओ... उसकी सांसें थमती हैं
ओ... कौन सुनेगा
कौन समझेगा
ओ... अरावली पुकारती है
[Bridge]
बादल भी थकते हैं
बारिशें भी डरती हैं
जंगलों की गूँज में
सन्नाटे ठहरती हैं
पर्वत की रगों में
अब आग बहती है
अरावली की पुकार में
सच्चाई रहती है
音楽のスタイル
indian classical fusion, rich percussion, earthy strings, soulful male vocals