[Verse] सृष्टि पे हा हा कार मचा है राम की मौत का जाल बुना है चारों दिशाओं में साम्राज्य बिछा है आग और खाक का मंजर सजा है [Verse 2] कोन भिड़ेगा मुझ प्रलयंकारी से जीत ना सकेगा इस हाहाकारी से साँसों में बसी ये तेरी हार है मुझे रोक सके ये किसकी तलवार है [Chorus] ज्वालामुखी सी जो क्रोध में जले हर कदम पे मेरा साया चले मैं हूँ वो रावण धधकती आग मेरे नाम से कांपे ये जग सारा [Verse 3] रक्त की लहरों में बहता यहाँ नदियाँ मेरे संग जुड़ी ये अंधेरी बस्तियाँ शैतान का साथी है मेरा हृदय रौंद डाले ये जीवन के हर दिशा [Bridge] आँखों में जलती ये लाल रोशनी अमावस्या की रात है ये निशानी मैं हूँ वो तांडव का नायक मेरी तलवारें पूछेंगी न कि कहाँ [Chorus] ज्वालामुखी सी जो क्रोध में जले हर कदम पे मेरा साया चले मैं हूँ वो रावण धधकती आग मेरे नाम से कांपे ये जग सारा